Tuesday, December 27, 2011
बाबा
बाबा,,,,,,,,,,,,
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समझ मॆं नहीं आता इनका काम बाबा !
सब का एक सरीखा है ताम-झाम बाबा !!
दिखा-दिखा के दाने डालते हैं लोगों को,
हर एक नेता बिछाये बैठा हैं दाम बाबा !!
आम खाना अब अमीरी की पहचान है,
आम आदमी क्या खायेगा आम बाबा !!
उसकी आवाज़ निकले तो भला कैसे,
आखिर है तो बेगम का गुलाम बाबा !!
सब कुछ सुनता है मगर बोलता नही,
लोग नाहक कर रहे हैं बदनाम बाबा !!
बाबा लोगो ने कसर नहीं छोड़ी बाकी,
टी वी चैनलों पे बैठे है तमाम बाबा !!
मैं बन्द कमरे में कुछ भी नहीं करता,
कभी पिटता भी हूं तो खुले-आम बाबा !!
फ़रिस्तो ने पूछा क्या ज़न्नत चलोगे,
कहा कौन जाये छोड़के गुल-फ़ाम बाबा !!
ज़न्नत के लफ़ड़े में हमको न घसीटो,
खाते हैं पीते हैं, करते हैं आराम बाबा !!
वहां जाने बाद फ़िर नौकरी की झंझट,
नहीं हैं रिश्वत के लिये अब दाम बाबा !!
उसको कल पड़ीं जब चप्पलें चौराहे पे,
हमने कहा ले-ले इश्क का इनाम बाबा !!
किसी को छोटा न समझो जी हुनर मे,
क्या पता कब आ जाये वो काम बाबा !!
जब हर मज़हब का है एक ही संदेशा,
फ़िर क्यों लड़ते हैं नीयत-हराम बाबा !!
इस दिल ने अपने हर धर्म को पूजा है,
इसको राम-राम है उसको सलाम बाबा !!
ज़रा सी दाद जो दोगे तो मर न जाओगे,
दो दिन में"राज"ने लिखा है कलाम बाबा !!
कवि-"राजबुँदॆली"
समझ मॆं नहीं आता इनका काम बाबा !
सब का एक सरीखा है ताम-झाम बाबा !!
दिखा-दिखा के दाने डालते हैं लोगों को,
हर एक नेता बिछाये बैठा हैं दाम बाबा !!
आम खाना अब अमीरी की पहचान है,
आम आदमी क्या खायेगा आम बाबा !!
उसकी आवाज़ निकले तो भला कैसे,
आखिर है तो बेगम का गुलाम बाबा !!
सब कुछ सुनता है मगर बोलता नही,
लोग नाहक कर रहे हैं बदनाम बाबा !!
बाबा लोगो ने कसर नहीं छोड़ी बाकी,
टी वी चैनलों पे बैठे है तमाम बाबा !!
मैं बन्द कमरे में कुछ भी नहीं करता,
कभी पिटता भी हूं तो खुले-आम बाबा !!
फ़रिस्तो ने पूछा क्या ज़न्नत चलोगे,
कहा कौन जाये छोड़के गुल-फ़ाम बाबा !!
ज़न्नत के लफ़ड़े में हमको न घसीटो,
खाते हैं पीते हैं, करते हैं आराम बाबा !!
वहां जाने बाद फ़िर नौकरी की झंझट,
नहीं हैं रिश्वत के लिये अब दाम बाबा !!
उसको कल पड़ीं जब चप्पलें चौराहे पे,
हमने कहा ले-ले इश्क का इनाम बाबा !!
किसी को छोटा न समझो जी हुनर मे,
क्या पता कब आ जाये वो काम बाबा !!
जब हर मज़हब का है एक ही संदेशा,
फ़िर क्यों लड़ते हैं नीयत-हराम बाबा !!
इस दिल ने अपने हर धर्म को पूजा है,
इसको राम-राम है उसको सलाम बाबा !!
ज़रा सी दाद जो दोगे तो मर न जाओगे,
दो दिन में"राज"ने लिखा है कलाम बाबा !!
कवि-"राजबुँदॆली"
Friday, December 23, 2011
हंसना मना है,,,,,,,
हो सकता है,,,,,,,,
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मरीज़ों बीच तुम को, इन्फ़ेक्श्न हो सकता है !
अंग्रेजी दवाइयां हैं तो, रियेक्शन हो सकता है !!१!!
आपरेशन के बाद मैने,बेचारे मरीज़ से ये कहा,
पेट में कैंची,चिम्टा या, इंजेक्शन हो सकता है !!२!!
वो गूंगा है, बहरा है, तोतला है, तो क्या हुआ,
उसके कपड़ों से भी तो,अट्रेक्शन हो सकता है !!३!!
दसवीं फ़ेल रहने से, कुछ फ़र्क नहीं पड़ता है,
रिश्वत मजबूत हो तो,सिलेक्शन हो सकता है !!४!!
सुबह होते ही वो आ जाती है अपनी टेरिस पे,
कह नहीं सकते कोई,कनेक्शन हो सकता है !!५!!
पसंद न हो बीबी तो, बदल सकते हो ज़नाब,
भूल हो गई थी उसमें, करेक्शन हो सकता है !!६!!
बेगम को दूर रखो,तुम झगड़ालू पड़ोसन से,
कभी न कभी उसका,रिफ़्लेशन हो सकता है !!७!!
भीख के धंधे को तुम नाम दे दो चंदे का गर,
गारंटी है अच्छा खासा,कलेक्शन हो सकता है !!८!!
ईमान की कमाई से बच्चे न कान्वेन्ट जायेंगे,
नौकरी के कोटे में भी, डिडेक्शन हो सकता है !!९!!
कुर्सी की कोशिश में दिल से लगे रहो "राज़",
मध्यावधि में भी तो,इलेक्शन हो सकता है !!१०!!
"कवि-राजबुँदॆली"
२४/१२/२०११
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