Friday, July 27, 2012


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जी हुज़ूर क्या करना,,,
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दिल कॊ इतना भी,मग़रूर क्या करना ॥
ख्वाब किसी कॆ हॊं,चूर-चूर क्या करना ॥१॥

दिल कॆ कॊनॆ मॆं, जगह दॆ दी जिसकॊ,
फ़िर उस कॊ दिल सॆ, दूर क्या करना ॥२॥

दिल का रिश्ता दिल सॆ,निभायॆं साहब,
फ़क़्त दिखावॆ का,यॆ दस्तूर क्या करना ॥३॥

मालूम है वह चाहत, है किसी और की,
दीदार खिड़की सॆ यूं,घूर-घूर क्या करना ॥४॥

पीनॆ की मनाही नहीं, निगाहॊं का ज़ाम,
पी कॆ दिल कॊ यूं, मख़मूर क्या करना ॥५॥

जिसकॆ मुकद्दर मॆं हैं,यॆ मिलॆंगॆ उसीकॊ,
हमॆं तुम्हारॆ यॆ मीठॆ, अंगूर क्या करना ॥६॥

हर कॊई करता है, जिस का तज़किरा,
उसका क़लाम मॆं, मज़कूर क्या करना ॥७॥

कामयाबी मॆहनत कॆ,बल पॆ मिलती है,
इसकॆ वास्तॆ नाहक, फ़तूर क्या करना ॥८॥

हीरॆ की शिफ़त है तॊ,छिप नहीं सकती,
कांच का टुकड़ा है ग़र, नूर क्या करना ॥९॥

आम बात हॊ या, फ़रमान शहंशाह का,
बात वाज़िब नहीं तॊ,मंज़ूर क्या करना ॥१०॥

सरकारी मुलाज़िम है, वॊ खुदा तॊ नहीं,
हर बात पॆ उसकी,जी हुज़ूर क्या करना ॥११॥

फ़क्त तॆरॆ नाम सॆ यॆ, मुकम्मल हॊ गई,
इस गज़ल कॊ अब,मामूर क्या करना ॥१२॥

नॆक-नामॊं मॆं शरीक़,हॊ गया नाम जब,
इससॆ ज्यादा इसकॊ,मशहूर क्या करना ॥।१३॥

गज़ल उम्दा हॊगी तॊ,दाद मिलॆगी"राज"
टैंग करकॆ लॊगॊं कॊ,मज़बूर क्या करना ॥१४॥

कवि-राज बुन्दॆली
२४/०७/२०१२

कुछ शब्दार्थ,,,,,,,,,
मग़रूर=घमंड,
मख़मूर=नशे में चूर,
तज़किरा=चर्चा,जिक्र,
मज़कूर=विवरण,
फ़तूर=खुराफ़ात,
मामूर=पूर्ण,

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