Wednesday, January 19, 2011

कैकेई नॆं माँगा था रघुवर कॊ, वन कॆवल चौदह वर्षॊं का !
हमनॆं तुमनॆं गला दबाया है, मर्यादाऒं का आदर्शॊं का !!
भारत मॆं हमनॆं भरत-बंधु कॊ,आजीवन वनवास दिया !
दिया कंस कॊ सत्ता सिंहासन,कान्हा कॊ कारावास दिया !
अग्नि-परीक्षा दॆती घर घर मॆं, अब कॊई न कॊई सीता !
हर श्लॊक मॆं बिलख रही है, अब वह वॆद ब्यास की गीता !!
अब युवा शक्ति कॆ गर्जन सॆ, संसद की दीवारॆं थर्रानॆं दॊ !!
राम राज्य तॊ आ जायॆगा , पहलॆ परसुराम कॊ आनॆ दॊ !!

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