Sunday, July 17, 2011

इंसान बनो,,,,,,,,,,,,,,

हिन्दू बनों न मुसलमान बनों तुम !
बेहतर है अच्छा इंसान बनों तुम !!

दिलों से मिटा करके गिले-शिकवे,
अपने मुल्क की पहचान बनों तुम !!

रोयेगी इंसानियत तो रोयेंगे सभी,
मौत का न कभी सामान बनो तुम !!

एक ही है रखवाला सभी का "राज़"
आरती बनो चाहे अज़ान बनों तुम !!

5 comments:

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ said...

आपके इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 19-07-2011 के मंगलवारीय चर्चा मंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर भी होगी आप सादर पधार कर अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराएं और कृपया अपने टिप्पणी बाक्स से वर्ड वेरीफिकेशन हटा दें जिससे टिप्पणी करने में सुविधा हो

चंदन said...

बहुत ही सुन्दर रचना!
हम भी इंसान बने... सब इंसान बने!

vidhya said...

VAH BAHUT KUB KAHA

लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/

आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.

अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।

डॉ0 विजय कुमार शुक्ल ‘विजय’ said...

bahut udaatt bhavnaye!! aaj desh ko inki zaroorat hai.. aameen.

डॉ0 विजय कुमार शुक्ल ‘विजय’ said...

bahut udaatt bhavnaye!! aaj desh ko inki zaroorat hai.. aameen.