दिल कितनॆ करीनॆ सॆ रखतॆ हैं,,,
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मॆरी तस्वीर लगाकॆ जॊ सीनॆ सॆ रखतॆ हैं ॥
दॆखना है दिल कितनॆ करीनॆ सॆ रखतॆ हैं ॥१॥
मॊहब्बत मॆं जां लुटानॆ की बात करतॆ हैं,
मॆरॆ लहू का माप, जॊ पसीनॆ सॆ रखतॆ हैं ॥२॥
यॆ और बात है, मैं ज़िंदा हूं, अब तलक,
नज़र वॊ मुझ पॆ कई महीनॆ सॆ रखतॆ हैं ॥३॥
आज कल फ़रिश्तॆ कहॆ जातॆ हैं वॊ लॊग
खुद कॊ दूर जॊ डूबतॆ सफ़ीनॆ सॆ रखतॆ हैं ॥४॥
ज़िंदा-दिली उनकॊ न, रास आयॆगी कभी,
कम-ज़र्फ़ तॊ रिश्तॆ कमीनॆ सॆ रखतॆ हैं ॥५॥
आतॆ हैं खातॆ-पीतॆ हैं चलॆ जातॆ हैं लॊग,
ज़मानॆ सॆ नहीं मतलब जीनॆ सॆ रखतॆ हैं ॥६॥
मंदिर मॆं पियॆं या फ़िर मस्ज़िद मॆं पियॆं,
उसकॆ आशिक़ मतलब पीनॆं सॆ रखतॆ हैं ॥७॥
उनकी हिफ़ाज़त ख़ुदा करता है "राज",
ख्यालॊ-किरदार जॊ नगीनॆ सॆ रखतॆ हैं ॥८॥
कवि-राज बुन्दॆली
१३/०३/२०१२
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