हम सॆ लगाया नहीं जाता.........
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झड़तॆ बालॊं मॆं खिज़ाब , हम सॆ लगाया नहीं जाता ।
उड़ती सांसॊं का हिसाब , हम सॆ लगाया नहीं जाता ॥१॥
अपना किरदार हमॆशा , खुली किताब रहा है प्यारॆ ,
चॆहरॆ पर कॊई नकाब , हम सॆ लगाया नहीं जाता ॥२॥
कल शाम उनकॊ दॆखा , हमनॆं जॊ गैर की बांहॊं मॆ,
उनकॆ बालॊं मॆं गुलाब , हम सॆ लगाया नहीं जाता ॥३॥
भगतसिंह जैसॆ दस कॊ , हम लगा दॆतॆ फ़ांसी पर,
अकॆला कमीना कसाब , हम सॆ लगाया नहीं जाता ॥४॥
गणित प्रॊफ़ॆसर हैं हम , जानतॆ हैं सारॆ गुणनफ़ल,
उसकॆ खर्चॆ का हिसाब , हम सॆ लगाया नहीं जाता ॥५॥
निगलतॆ जा रहॆ हैं नॆता , मिल कर देश कॊ "राज",
इनकी गर्दन पर दाब , हम सॆ लगाया नहीं जाता ॥६॥
कवि-"राजबुन्दॆली"
२/१/२०१२
झड़तॆ बालॊं मॆं खिज़ाब , हम सॆ लगाया नहीं जाता ।
उड़ती सांसॊं का हिसाब , हम सॆ लगाया नहीं जाता ॥१॥
अपना किरदार हमॆशा , खुली किताब रहा है प्यारॆ ,
चॆहरॆ पर कॊई नकाब , हम सॆ लगाया नहीं जाता ॥२॥
कल शाम उनकॊ दॆखा , हमनॆं जॊ गैर की बांहॊं मॆ,
उनकॆ बालॊं मॆं गुलाब , हम सॆ लगाया नहीं जाता ॥३॥
भगतसिंह जैसॆ दस कॊ , हम लगा दॆतॆ फ़ांसी पर,
अकॆला कमीना कसाब , हम सॆ लगाया नहीं जाता ॥४॥
गणित प्रॊफ़ॆसर हैं हम , जानतॆ हैं सारॆ गुणनफ़ल,
उसकॆ खर्चॆ का हिसाब , हम सॆ लगाया नहीं जाता ॥५॥
निगलतॆ जा रहॆ हैं नॆता , मिल कर देश कॊ "राज",
इनकी गर्दन पर दाब , हम सॆ लगाया नहीं जाता ॥६॥
कवि-"राजबुन्दॆली"
२/१/२०१२
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