Monday, February 13, 2012

आपकॆ लियॆ,,, ----------------

आपकॆ लियॆ,,,
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जॊ भी तकलीफ़ॆं उठाईं, उस्ताद आपकॆ लियॆ ॥
पावॊं मॆं फ़ट गईं बिंबाईं,उस्ताद आपकॆ लियॆ ॥१॥

हमारॆ चाल-चलन की, मिसाल दॆतॆ हैं लॊग,
हम नॆं मुर्गियां चुराईं, उस्ताद आपकॆ लियॆ ॥२॥

पतंगबाजी हमारॆ,बाप दादा भी जानते न थे,
हमनॆं तॊ पतंगॆं उड़ाईं, उस्ताद आपकॆ लियॆ ॥३॥

घुड़सवारी न करतॆ, लंगड़ॆ न हॊतॆ ज़नाब,
नई घॊड़ियां मगवाईं, उस्ताद आपकॆ लियॆ ॥४॥

इश्क की ए.बी.सी.डी, भला क्या जानॆं हम,
वह बन संवर कॆ आईं, उस्ताद आपकॆ लियॆ ॥५॥

अक्सर फ़ॆर लॆतीं हैं नज़रॆं, दॆख करकॆ हमॆं,
आज आतॆ ही मुस्कुराईं,उस्ताद आपकॆ लियॆ ॥६॥

नागफ़नी कह कॆ, बुलाता है मॊहल्ला जिन्हॆं,
हाय!क्या गज़ब शरमाईं, उस्ताद आपकॆ लियॆ ॥७॥

कह दिया किसी नॆ कि, उस्ताद चल बसॆ,
आंखॊं सॆ नदियां बहाईं,उस्ताद आपकॆ लियॆ ॥८॥

बड़ॆ पाप्युलर हॊ आप तॊ, मॊहल्लॆ मॆं अपनॆं,
रॊईं घर-घर मॆं लुगाईं, उस्ताद आपकॆ लियॆ ॥९॥

बड़ॆ शायरॊं मॆं तॊ हमारा, भी नाम है "राज",
दॊ-चार गज़लॆं जॊ उड़ाईं, उस्ताद आपकॆ लियॆ ॥१०॥

    कवि-राज बुन्दॆली,,,,
     ०४/०२/२०१२











2 comments:

Anonymous said...

bahut khoob janab.

kavirajbundeli.blogspot.com said...

बहुत-बहुत शुक्रिय,,,,,,,अंसारी जी