कब तक चलेगा,,,,,,,
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उधार, उधार पे उधार, कब तक चलेगा ।
किसान हुआ कर्जदार, कब तक चलेगा ॥१॥
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उधार, उधार पे उधार, कब तक चलेगा ।
किसान हुआ कर्जदार, कब तक चलेगा ॥१॥
बच्चे पढ़ लिखकर बेरोजगार फ़िर रहे,
आरक्षण का हथियार, कब तक चलेगा ॥२॥
खानॆ को चार पेट कमाने को दो हांथ,
यूँ हमारा घर-परिवार, कब तक चलेगा ॥३॥
दबंग हैं जब तक ज़िंदगी से लड रहे हैं,
ये खेल आखिरकार, कब तक चलेगा ॥४॥
वह गालियों से शुरुआत करता है बात,
4 comments:
सार्थक एवं सटीक प्रस्तुति....सराहनीय....
कृपया इसे भी पढ़े-
नेता- कुत्ता और वेश्या(भाग-2)
kya bat hai...lekhani ki dhar se karara vyang vyswastha pr ...badhai ho...
धन्यवाद,,,,,,,,मित्रो आभारी हूं आपका,,,,,,,,,,
बहुत-बहुत आभारी हूं,,,,,,,,,
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