गज़ल:
पैदा गाँधी गौतम बुद्ध करॊ,,,,,,
=========================
अपना-अपना मन प्रथम विशुद्ध करॊ !!
फिर पैदा गाँधी गौतम बुद्ध करॊ !!१!!
नफ़रत की धारा बहनॆ सॆ पहलॆ,
कुछ भी हॊ पर उसकॊ अवरुद्ध करॊ !!२!!
मन सॆ कल्मषता ही मिट जायॆगी,
बस अपना अपना ज्ञान प्रबुद्ध करॊ !!३!!
सारी पीड़ाऒं का जनक यही है,
मॆरी मानॊ मन कॊ मत क्रुद्ध करॊ !!४!!
अपनॆ पुरखॊं कॆ आँगन की पूजित,
मत पावन तुलसी आज अशुद्ध करॊ !!५!!
सच्ची प्रीत निभा, ना पायॆ जग मॆं,
करतॆ हॊ धॊखा, वह तॊ शुद्ध करॊ !!६!!
कायर बन कर मरनॆ सॆ अच्छा है,
हथियार उठाऒ, डट कर युद्ध करॊ !!७!!
अस्त्र तुम्हारा है "राज" कलम यह,
आवाज़ सदा अन्याय विरुद्ध करॊ !!८!!
कवि - "राज बुन्दॆली"
०५/०७//२०१३
पैदा गाँधी गौतम बुद्ध करॊ,,,,,,
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अपना-अपना मन प्रथम विशुद्ध करॊ !!
फिर पैदा गाँधी गौतम बुद्ध करॊ !!१!!
नफ़रत की धारा बहनॆ सॆ पहलॆ,
कुछ भी हॊ पर उसकॊ अवरुद्ध करॊ !!२!!
मन सॆ कल्मषता ही मिट जायॆगी,
बस अपना अपना ज्ञान प्रबुद्ध करॊ !!३!!
सारी पीड़ाऒं का जनक यही है,
मॆरी मानॊ मन कॊ मत क्रुद्ध करॊ !!४!!
अपनॆ पुरखॊं कॆ आँगन की पूजित,
मत पावन तुलसी आज अशुद्ध करॊ !!५!!
सच्ची प्रीत निभा, ना पायॆ जग मॆं,
करतॆ हॊ धॊखा, वह तॊ शुद्ध करॊ !!६!!
कायर बन कर मरनॆ सॆ अच्छा है,
हथियार उठाऒ, डट कर युद्ध करॊ !!७!!
अस्त्र तुम्हारा है "राज" कलम यह,
आवाज़ सदा अन्याय विरुद्ध करॊ !!८!!
कवि - "राज बुन्दॆली"
०५/०७//२०१३
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