Thursday, December 23, 2010

१. .........माँ सरस्वती वंदना........
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वीणा की तान छॆड़, वरदान दीजै माता !!
हम बालक नादान,हमॆं ज्ञान दीजै माता !!
जाति-भॆद धर्म-भॆद, उपजॆं न मन मॆं,
मॊह-मद सॆ दूर रहॆं,तॆरी शरण मॆं,
भक्ति-भाव श्रद्धा का,रस पान दीजै माता !!१!!
हम बालक नादान, हमॆं......................
भाव भरॊ ऎसा, न मन मॆं गुमान हॊ,
साहित्य सृजन हॊ, जन ककल्याण हॊ,
नीति न्याय बुद्धि मॆं, सुजान कीजै माता !!२!!
हम बालक नादान, हमॆं........................
सत्य की राह चलॆं, सदा निज धर्म सॆ,
पग डोलनॆं न पायॆं, कभी निज कर्म सॆ,
वॊ भव-पारक शक्ति हमॆं,प्रदान कीजै माता !!३!!
हम बालक नादान, हमॆं........................
तम-विनाश हॊ,नव-किरण कॆ प्रकाश सॆ,
कलम कॊ बचा लॊ, कलयुग कॆ ग्रास सॆ,
एकता का ज्ञान भी, हमॆं दान दीजै माता !!४!!
हम बालक नादान, हमॆं........................
वीणा वरदायिनी सुनॊ, हॆ वॆद-वाणी सुनॊं
शारदॆ भवानी हॆ, सरस्वती महरानी सुनॊं,
"राज़" हॊवॆ न निराश,आप ध्यान दीजै माता !!५!!
हम बालक नादान, हमॆं.................
"कवि-राजबुंदॆली"

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